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विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर

1626 - 1708

विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 1

भक्ति-लता संतों की कृपा से ही उत्पन्न होती है। दीनता एवं दूसरों को मान देने की वृत्ति आदि शिलाओं की बाढ़ द्वारा उस लता को संतापराध रूपी हाथी से बचाकर, श्रवण-कीर्तन आदि जल से सींचते और बढ़ाते रहना चाहिए।

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