सुशील सुमन के बेला
काग़ज़ी है पैरहन : इस्मत चुग़ताई के बनने की दास्तान
उर्दू गद्य साहित्य की बेहतरीन और बहुचर्चित हस्ताक्षर इस्मत चुग़ताई की आत्मकथा है—‘काग़ज़ी है पैरहन’। यह किताब इस्मत चुग़ताई की शुरूआती ज़िंदगी और उनकी निर्मिति की कहानी को बहुत रोचक अंदाज़ में बयाँ करती है
‘मसरूफ़ औरत’ के बारे में
कला-साहित्य से जुड़ी दुनिया की बात करें तो हर युग में व्यक्तिगत स्तर पर सृजन करने वालों की तुलना में युग-निर्माताओं की तादाद हमेशा कम रही है। युग-निर्माताओं से मेरी मुराद ऐसे लोगों से है जिन्होंने के