शम्स तबरेज़ की संपूर्ण रचनाएँ
उद्धरण 5

जब तू बुद्धि को अपना पथ-प्रदर्शक मानता है, उस समय तू यह नहीं विचार करता कि तू पूर्ण है और तुझमें व तेरे अंश बुद्धि में अंतर है।
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यह जो सब कुछ है वह नाशवान है। ईश्वर के अतिरिक्त जितने नाम हैं, वे सब नष्ट होने वाले हैं।
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हर वह मनुष्य जिसके हृदय में कोई संदेह नहीं है, वह यह बात पूर्ण रूप से समझ लेगा, कि एक हस्ती के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं है।
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तुझे केवल दो बातों का स्मरण रखना उचित है—प्रथम यह कि तू ममत्व की बाधा को दूर कर दे। द्वितीय यह कि तू अस्तित्व के मैदान को पार कर जा।
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