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संत रामचरण

1719 - 1798 | जयपुर, राजस्थान

श्री 'रामस्नेही संप्रदाय' के प्रवर्तक। वाणी में प्रखर तेज। महती साधना, अनुभूति की स्वच्छता और भावों की सहज गरिमा के संत कवि।

श्री 'रामस्नेही संप्रदाय' के प्रवर्तक। वाणी में प्रखर तेज। महती साधना, अनुभूति की स्वच्छता और भावों की सहज गरिमा के संत कवि।

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