संत लालदास की संपूर्ण रचनाएँ
दोहा 7
थोड़ा जीवण कारनै, मत कोई करो अनीत।
वोला जौ गल जावोगे, जो बालु की भीत॥
- फ़ेवरेट
-
शेयर
नेकी जबलग कीजिये, जबलग पार वसाय।
नेकी तणा विसायता, जै सिर जाय तो जाय॥
- फ़ेवरेट
-
शेयर
चकवा चकवी दो जणा, इन मत मारो कोय।
ये मारे करतार नै, रैन विछोहा होय॥
- फ़ेवरेट
-
शेयर
मैमंता मन मारीये, नहना कर कर पीस।
तौ सुष पावै सुंदरी, पदम झलैकै सीस॥
- फ़ेवरेट
-
शेयर
क्या घर का क्या वाहला, डोरी लागी राम।
आपनी आपनी जौम मै, बुडी जाय जीहान॥
- फ़ेवरेट
-
शेयर