noImage

प्रवीणराय

ओरछानरेश इंद्रजीत सिंह की कृपापात्र नर्तकी और विदुषी। प्रचलित है कि आचार्य केशवदास ने 'कविप्रिया' नामक ग्रंथ प्रवीण को कविशिक्षा देने हेतु रचा था।

ओरछानरेश इंद्रजीत सिंह की कृपापात्र नर्तकी और विदुषी। प्रचलित है कि आचार्य केशवदास ने 'कविप्रिया' नामक ग्रंथ प्रवीण को कविशिक्षा देने हेतु रचा था।

प्रवीणराय के दोहे

विनती राय प्रवीन की, सुनिए साहि सुजान।

जूठी पातरि भखत हैं, बारी वायस, स्वान॥

ऊँचे ह्वै सुर बस किये, सम ह्वै नर बस कीन।

अब पताल बस करन को, ढरकि पयानो कीन॥

Recitation