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मनमोहन मिश्र

1917 | पुरी, ओड़िशा

सुपरिचित ओड़िया कवि और साम्यवादी नेता। कविता में विप्लव और मुक्ति की नई धारा के सूत्रधार के रूप में योगदान।

सुपरिचित ओड़िया कवि और साम्यवादी नेता। कविता में विप्लव और मुक्ति की नई धारा के सूत्रधार के रूप में योगदान।

मनमोहन मिश्र के उद्धरण

मेरी जन्मभूमि के वक्ष को छूकर जितने अभाव जलते हैं, ज़्यादा दुःख होते हैं, मैं उनका फल हूँ।

  • संबंधित विषय : दुख

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