‘‘सलाम करके गुज़रता था जिस मज़ार को मैं’’
उसने काग़ज़ पर ये मिसरा लिखा और शाइर का नाम सोचने लगा।
कुछ देर बाद उसने ये वाक्य : ‘‘अंत ही आरंभ है…’’ लिखा और काट दिया। फिर एक लंबी बुत-नुमाई के बाद कुफ़्र
Recitation
join rekhta family!
Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts