Font by Mehr Nastaliq Web

आसण बैसण कूड़ कपट्टण

aasan baisan kooD kapattan

जांभोजी

अन्य

अन्य

जांभोजी

आसण बैसण कूड़ कपट्टण

जांभोजी

और अधिकजांभोजी

    आसण बैसण कूड़ कपट्टण।

    कोई-कोई चीह्नत वोज बाटे।

    वोज बाटे जे नर भया॥

    काची काया छोड़ कैलाशै गया॥

    साधु होने के कारण ही जिसको बैठने को ऊँचा आसन मिला फिर भी वह मिथ्या और कपट का कार्य करता है। उनमें कोई बिरला ही उस परमात्मा की प्राप्ति के सरल एवं निष्कपट मार्ग को जानता है। जो मनुष्य सरल तथा निष्कपट होकर परमात्मा के मार्ग पर अग्रसर हुआ, वह इस नश्वर शरीर को छोड़कर परमधाम को चला गया।

    स्रोत :
    • पुस्तक : जाम्भोजी की वाणी (पृष्ठ 206)
    • रचनाकार : जाम्भोजी
    • प्रकाशन : Vikas Prakashan
    • संस्करण : 2001

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए