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राम मिलन क्यों पइये

ram milan kyon paiye

मलूकदास

अन्य

अन्य

मलूकदास

राम मिलन क्यों पइये

मलूकदास

राम मिलन क्यों पइये, मोहिं राखा ठगवन घेरि हो।

क्रोध तो काला नाग है, काम तो मरघट काल।

आप आप को खैंचते, मोहिं कर डाला बेहाल हो॥

एक कनक और कामिनी, यह दोनों बटपार।

मिसरी की छुरी गर लाय के, इन मारा सब संसार हो॥

इनमें कोई ना भेला, सब का एक विचार।

पैड़ा मारैं भजन का, कोइ कैसे कै उतरे पार हो॥

उपजत बिनसत थकि पड़ा, जियरा गया उकताय।

कहैं मलूक बहु भरमिया, मो पर अब नहिं भरमो जाय हो॥

स्रोत :
  • पुस्तक : संत कवि मलूकदास (पृष्ठ 73)
  • संपादक : त्रिलोकी नारायण दीक्षित
  • रचनाकार : मलूकदास
  • प्रकाशन : अखिल भारतीय संत मलूकदास स्मारक समिति, प्रयाग
  • संस्करण : 1965

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