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मूनैं येह अचंभौ थाये

munain yeh achambhau thaye

दादू दयाल

दादू दयाल

मूनैं येह अचंभौ थाये

दादू दयाल

मूनैं येह अचंभौ थाये।

कीड़ीयें हस्ती बिडार्यौ, तेन्हैं बेठी खाये॥

जांण हुतौ ते बैठो हारै, अजांण तेन्हैं ता बाहै।

पांगलौ ऊजावा लागौ, तेन्हैं कर को साहै॥

नान्हौं हुतौ ते मोटौ थयौ, गगन मंडल नहीं माये।

मोटे रौ बिस्तर भणी जै, ते तो कीन्हे जाये॥

ते जाणौ जे निरखी जोवै, खोजी नैं बली मांहैं।

दादू तेन्हौं मरम जांणैं, जे जिभ्या बिहूंणौं गाये॥

मुझे यह आश्चर्य होता है कि चींटी ने हाथी को मारकर खा लिया अर्थात् सद्विचार रूपी चींटी ने काम-क्रोध रूपी हाथी को नष्ट (अस्तित्वहीन) कर दिया। जो इस तथ्य का जानकार था, वह स्वरूप में स्थिर होकर बैठ गया है। जो अज्ञानी था, वह सांसारिकता और उसके प्रलोभनों में फँसकर रह गया। जो विषय वासना आदि के चक्कर में पड़कर पंगु हो चुका था, वह ब्रह्मा-आराधना की सही राह पर चलने लगा। अब कोई विघ्न या बाधा उसे उस मार्ग पर जाने से रोक नहीं सकती है। अज्ञान की अवस्था में सांसारिक प्रपंच विराट और ब्रह्म-ज्ञान लघु प्रतीत होता था। ब्रह्म के स्वरूप का बोध होते ही ठीक उलटा हो गया। अब सांसारिक प्रपंच तुच्छ और ब्रह्म का स्वरूप-बोध इतना महान् और व्यापक हो गया कि वह आकाश में भी नहीं समाता है (सूक्ष्म मन अब विराट होकर त्रिकुटी में नहीं अट रहा है)। संसार में अभी तक ऐसा व्यक्ति नहीं जन्मा है, जो उस ब्रह्म की व्यापकता को सही ढंग से रेखांकित कर सके (ब्रह्मा की विराटता को जानना-पहचानना जटिल कार्य है।)। उस ब्रह्म का यथार्थ-बोध वही कर सकता है, जिसने ब्रह्म के स्वरूप को पहचान लिया हो या उसका साक्षात्कार कर लिया हो। यह बोध ऐसा है, जो शोधक को भरमाता और अपने में लीन कर लेता है। दादू कहते हैं कि जिस ब्रह्म का जाप बिना जिह्वा के अंतर्मन में किया जाता है, मैं उसके मर्म को अभी तक नहीं समझ सका हूँ।

स्रोत :
  • पुस्तक : दादू समग्र (एक) (पृष्ठ 199)
  • रचनाकार : दादू दयाल
  • प्रकाशन : अमरसत्य प्रकाशन
  • संस्करण : 2007
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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