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मदनगुपाल, सरन तेरी आयो

madangupaal, saran terii aayo

श्रीभट्ट

अन्य

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श्रीभट्ट

मदनगुपाल, सरन तेरी आयो

श्रीभट्ट

और अधिकश्रीभट्ट

    मदनगुपाल, सरन तेरी आयो।

    चरनकमल को सरन दीजिये, चेरौ करि राखौं घर-जायो॥

    धनि-धनि माता-पिता सुत बंधु धनि, जननी जिन गोद खिलायो।

    धनि-धनि चलन चलत तीरथ की, धनि गुरुजन हरिनाम सुनायो॥

    जे नर बिमुख भये गोविंद सों, जनम अनेक महादुख पायो।

    ‘श्रीभट्ट’ के प्रभु दियौ अभय पद जम डरप्यौ जब दास कहायो॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 109)
    • संपादक : वियोगी हरि
    • रचनाकार : श्रीभट्ट
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002

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