Font by Mehr Nastaliq Web

जन हित राम धरत शरीर

jan hit ram dharat sharir

मंजुकेशी

अन्य

अन्य

मंजुकेशी

जन हित राम धरत शरीर

मंजुकेशी

जन हित राम धरत शरीर।

भक्तवर प्रह्लाहित नरहरि भये रघुबीर।

द्रौपदी पत राखिबे को बनि गये प्रभु चीर॥

सकल भ्रम तजि भजिय रघुबर शांत-दांत-गंभीर।

भक्त के हित धरे ‘केशी’ करकमल धनु-तीर॥

स्रोत :
  • पुस्तक : भजन-संग्रह तीसरा भाग (पृष्ठ 167)
  • संपादक : वियोगी हरि
  • रचनाकार : मंजुकेशी
  • प्रकाशन : गीताप्रेस गोरखपुर
  • संस्करण : 1941

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए