Font by Mehr Nastaliq Web

हम नहिं आज रहब यहि आँगन

hum nahi aaj rahab yahi aangan

विद्यापति

अन्य

अन्य

विद्यापति

हम नहिं आज रहब यहि आँगन

विद्यापति

और अधिकविद्यापति

    हम नहिं आज रहब यहि आँगन जो बुढ़ होएत जमाई, गे माई।

    एक बइरि भेला बीध बिधाता दोसरे धिया कर बाप॥

    तीसरे बइरि भेला नारद बाभन जै बूढ़ आनल जमाई, गे माई॥

    पहिलुक बाजन डोमरु तोरब दोसरे तोरब रुँडमाला।

    बरद हाँकि बरियात वेलाइब धिआ लेजाइब पराइ, गे माई॥

    धोती लोटा पतरा पोथी एहो सभ लेबन्हि छिनाई।

    जो किछु बजता नारद बाभन दाढ़ी दे धिसिआएब, गे माई॥

    भन विद्यापति सुनु हे मनाइन दृढ़ कर अपन गेआन।

    सुभ सुभ कए सिरी गौरी बियाहू गौरी हर एक समान, गे माई॥

    हे सखी! यदि इस वृद्ध शिव को मेरा जामाता बनाया गया तो फिर मैं इस घर में नहीं रहूँगी। मेरी इस कन्या के तीन शत्रु हो गए। एक तो ब्राह्मण ही शत्रु हुआ जिसने मेरी कन्या का इस बूढ़े से विवाह का संयोग-विधान किया। दूसरे इसके पिता हिमालय ने ऐसे वृद्ध एवं सुरुचिहीन वर का चयन कर शत्रुता का व्यवहार किया है। तीसरा शत्रु ब्राह्मण नारद है जो मेरी कन्या की विधि मिलाकर इस वृद्ध दामाद को मेरे द्वार पर ले आया। मैना कहती है कि मैं शिव के डमरु और रुंडमाला को तोड़ डालूँगी। मैं इसके बैल को खदेड़ दूँगी और बरात को भगा दूँगी और फिर अपनी पुत्री को भगाकर कहीं दूर ले जाऊँगी। हे सखी! मैं इस ब्राह्मण नारद का धोती, लोटा, पोथी-पत्रा सब छिनवा लूँगी और यदि इसने अनाकानी की तो मैं स्वयं उसकी दाढ़ी पकड़ कर घसीटूँगी। मैना के इन बचनों को सुनकर विद्यापति के शब्दों में ही उसकी सखी कहती है कि मैना! सुनो, तू जो शिव के वरत्व के संबंध में अनर्गल प्रलाप कर रही है वह अज्ञान के कारण ही है। तू शिव एवं पार्वती के विवाह का मंगल विधि के साथ विवाह कर, क्योंकि ये दोनों एक समान अर्थात् एक दूसरे के सर्वथा उपयुक्त हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : विद्यापति का अमर काव्य (पृष्ठ 134)
    • संपादक : गोपालाचार्य 'पराग'
    • रचनाकार : विद्यापति
    • प्रकाशन : स्टूडेंट स्टोर बिहारीपुर बरेली
    • संस्करण : 1965

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए