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खेलन कौं धौरी अकुलानी

khelan kau.n dhaurii akulaanii

चतुर्भुजदास

अन्य

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चतुर्भुजदास

खेलन कौं धौरी अकुलानी

चतुर्भुजदास

खेलन कौं धौरी अकुलानी।

डाढ मेलि आतुर सरसुख व्है स्याम सुंदर की सुनि मृदुबानी॥

बड़रे गोप थकित भए ठाढे यह अबलों देखी कहानी।

नाचत गांइ भई ब्रज नौतन बरसों-बरस कुसल यह जानी॥

नंद-कुमार निवारि झारि मुख जै जै सब्द कहत कलबानी।

‘चतुर्भुज’ प्रभु गिरिधरलाल की सदा रहो ऐसी रजधानी॥

स्रोत :
  • पुस्तक : अष्टछाप कवि : चतुर्भुजदास (पृष्ठ 63)
  • संपादक : हरगुलाल
  • रचनाकार : चतुर्भुजदास
  • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
  • संस्करण : 2009

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