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भारत-भारती / अतीत खंड / शक्ति का उपयोग

shakti ka upyog

मैथिलीशरण गुप्त

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मैथिलीशरण गुप्त

भारत-भारती / अतीत खंड / शक्ति का उपयोग

मैथिलीशरण गुप्त

और अधिकमैथिलीशरण गुप्त

    अन्याय-अत्याचार करना तो किसी पर दूर है,

    जिसका किया हमने किया उपकार ही भरपूर है।

    पर पीड़ितों का त्राण कर जो दुःख हम खोते नहीं,

    तो आज हिंदुस्तान में ये पारसी होते नहीं॥

    जाकर कहाँ हमने जलाई आग युद्ध-अशांति की?

    थे घूमते सर्वत्र पर हमने कहाँ पर क्रांति की?

    करते वही थे हम कि जिससे शांति सुख पावें सभी,

    स्वार्थान्ध होकर, पर-हित-व्रत छोड़ सकते थे कभी?

    भूले हुओं को पथ दिखाना यह हमारा कार्य्य था,

    राजत्व क्या है, जगत हमको मानता आचार्य था।

    आतंक से पाया हुआ भी मान कोई मान है?

    खिंच जाय जिस पर मन स्वयं सच्चा वही बलवान है॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारत भारती (पृष्ठ 52)
    • रचनाकार : मैथलीशरण गुप्त
    • प्रकाशन : साहित्य सदन चिरगाँव झाँसी
    • संस्करण : 1984

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