Font by Mehr Nastaliq Web

इंद्रावती (स्तुति खंड)

indrawti (istuti khanD)

नूर मोहम्मद

नूर मोहम्मद

इंद्रावती (स्तुति खंड)

नूर मोहम्मद

धन्य आप जग सिरजन हारा। जिन बिन खंभ अकास सँवारा॥

होऊ जग को आपुहिं राजा। राज दोऊ जग को तेहि छाजा॥

दीन्हा नैन पंथ पहिचानों। दीन्हा रसना ताहि बखानों॥

बात सुनै कहँ सरवन दीन्हा। दीन्हा बुद्धि ज्ञान तेहि चीन्हा॥

गगन कि सोभा कीन्हे सितारा। धरती सोभा मनुष सँवारा॥

आप गुपुत परगट, आप आद अंत।

आप सुनै देखै, कीन्ह मनुष बुधवंत॥

अहइ अकेल सो सिरजन हारा। जानत परगट गुपुत हमारा॥

कीन्ह गगन रवि ससि महि मेरा। कोउ नाहीं जोरी तेही केरा॥

कीन्हा राति मिले मुख तासों। कीन्हा दिन कारज हे जासों॥

घन सो महि पर भेजत नीरा। पलुअत सूखी भूमि सरीरा॥

सब बिलाय जाइहि एक बारा। रहे तेहिक मुख रवि उँजियारा॥

हे स्त्रोता दिष्टा, तेहि सम कोउ आहि।

जो कुछ है महि गगन महँ, सब सुमिरत है ताहि॥

अरे दोऊ जग के करतारा। कित कै सकउँ बखान तुम्हारा॥

रसना होइ रोम सब मोहीं। तबहूँ वस्न पारउँ तोंहीं॥

है अपार सागर भौ केरा। मोहि करनी को नाव बेरा॥

कै किरपा मोहि पार उतारो। दया दृष्टि मोहि ऊपर डारो।

है हमकहँ आलम्म तुम्हारी। तोंहि दाया सो मुकुत हमारी॥

है मगु बहुत जगत्त महँ, तिन मगु की नहिं चाव॥

आपन पंथ देखावहु, राखौं तपार पाँव॥

रहत आगर रूप छिपाना। आपुहिं परगट करै निदाना॥

जों रस रूप सों बांधहु द्वारा। जाइ झरोखे चितवै प्यारा॥

सिरजनहार छिपा ना रहा। आपुहि फेर चिन्हावै चहा॥

तब यह जग करतार सँवारा। चीन्ह पड़ा वह सिरजन हारा॥

मानुष फूल सुरस सी नाऊँ। धरि-धरि भा परगट सब ठाऊँ॥

आपुहि भोगि रूप धरि, जगमो मानत भोग।

आपुहि जोगी भेस होइ, निस दिन साघत जोग॥

अलख प्रेम कारन जग कीन्हा। धन जो सीस प्रेम महँ दीन्हा॥

जाना जेहिक प्रेम महँ हीया। मरै कबहूँ सो मर जीया॥

प्रेम खेत है यह दुनियाई। प्रेमी पुरुष करत बोवाई॥

जीवन जाग प्रेम को कहई। सोवन मीचु वो प्रेमी कहई॥

आग तपन जल चाल समूझो। पुनि टिकान माँटी कहँ बूझो॥

हो प्रेमी है प्रेम को, चंचलताई बाय।

जान मन जामां प्रेम रस, भा दोउ जग को राय॥

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के कवि और काव्य (पृष्ठ 75)
  • संपादक : गणेशप्रसाद द्विवेदी
  • प्रकाशन : हिंदुस्तानी एकेडेमी, संयुक्त प्रांत, इलाहाबाद

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY