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भूप मंडली प्रचंड चंडीस-कोदंड खंड्यो

bhoop manDli prchanD chanDis kodanD khanDyo

तुलसीदास

अन्य

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तुलसीदास

भूप मंडली प्रचंड चंडीस-कोदंड खंड्यो

तुलसीदास

और अधिकतुलसीदास

    भूप मंडली प्रचंड चंडीस-कोदंड खंड्यो,

    चंड बाहुदंड जाको ताही सों कहतु हौं।

    कठिन कुठार धार धारिवे की धीरताहि,

    वीरता विदित ताकी देखिए चहतु हौं॥

    तुलसी समाज राज तजि सो बिराजै आजु,

    गाज्यो मृगराज गजराज ज्यों गहतु हौं।

    छोनी में छाँड़यो छप्यौ छोनिप को छौना छोटो,

    छोनिप-छपन बाँको बिरुद बहतु हौं॥

    परशुराम ने सभा में आकर कहा, राजाओं की मंडली में जिस बलवान ने शिव-धनुष को तोड़ा है, जिसकी भुजाओं में बल है उसी से मैं कहता हूँ। मैं उसकी प्रसिद्ध वीरता और अपने कठोर फरसे की धार को सहन करने की धीरता को देखना चाहता हूँ। तुलसीदास कहते हैं कि वह (वीर) आज राजाओं के समाज से अलग खड़ा हो जाए, उसे मैं उसी तरह पकड़ूँगा जैसे सिंह गरजकर हाथी को। मैंने पृथ्वी में राजाओं के छोटे बच्चों को भी जीता नहीं छोड़ा, यह छिपा नहीं है; मैं क्षत्रियों के मारने का बाँका यश धारण किए हुए हूँ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : कवितावली (पृष्ठ 18)
    • संपादक : देवीनारायण द्विवेदी
    • रचनाकार : तुलसीदास
    • प्रकाशन : एस.बी.सिंह, काशी-पुस्तक-भंंडार, बनारस
    • संस्करण : 1999

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