Font by Mehr Nastaliq Web

जीउ है जानतु जेजे अनदेखें दुख होत

jiu hai janatu jeje andekhen dukh hot

आलम

अन्य

अन्य

आलम

जीउ है जानतु जेजे अनदेखें दुख होत

आलम

और अधिकआलम

    जीउ है जानतु जेजे अनदेखें दुख होत,

    जमुना ते आवत ही जात देखे जब तें।

    भौनु सुहातु है उसाँसन बिहात दिन,

    रतिपति अगिनि दहति तन तब तें।

    ‘आलम’ कहै हो प्यारे, काहू की तो पीर वूझो,

    दूर ही तें बदन दिखैबो कीजै अब तें।

    ऊँचे चितवतें नाही नीचे मुसक्वात जात,

    ऐसी निठुराई कान्ह कौने वदी कब तें॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : आलम-केलि (पृष्ठ 75)
    • संपादक : भगवानदीन
    • रचनाकार : आलम
    • प्रकाशन : उमाशंकर मेहता
    • संस्करण : 1922

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए