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अमल अटारी चित्रसारी बारी रावटी में

amal atari chitrasari bari rawati mein

श्रीपति

अन्य

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श्रीपति

अमल अटारी चित्रसारी बारी रावटी में

श्रीपति

अमल अटारी चित्रसारी बारी रावटी में

बारह दुबारी में केवाँरी गंधसार की।

कामानल छाय रह्यो चांदनी बिछौना पर

छबि फबि रही छीरसागर कुमार की॥

‘श्रीपति’ गुलाबवारे छूटत फुहारे प्यारे,

लपटें चलत तर अतर वयार की।

भूषण नेवारी घनसार मींजि सारी झार

तऊ बुझानी नेक ग्रीषम के झार की॥

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा (प्रथम भाग) (पृष्ठ 246)
  • संपादक : सुधाकर पांडेय
  • रचनाकार : श्रीपति
  • प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी

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