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यदि बच सका

yadi bach saka

गौरव सिंह

अन्य

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गौरव सिंह

यदि बच सका

गौरव सिंह

और अधिकगौरव सिंह

    यदि बच सका

    तो मैं बचा रहना चाहूँगा!

    सूख कर ठूँठ हो चुके तनों में एक हरी उम्मीद की तरह

    किसी तानाशाह के हृदय में बची मामूली करुणा की तरह

    थनों के निचोड़ लिए जाने के बाद बछड़े के लिए बचे पाव भर दूध की तरह

    हज़ार बेमुरव्वत विफलताओं के बाद भी बचे एक अंतिम प्रयास की तरह

    यह जानते हुए

    कि अब बचने के कुछ मायने शेष नहीं हैं...

    मैं बचा रहना चाहता हूँ तुम्हारी गंध की स्मृति की तरह!

    क्योंकि बचना हमेशा ख़त्म होने से बेहतर होता है…

    मैं बचा रहना चाहूँगा एक बेहतर विकल्प की तरह।

    स्रोत :
    • रचनाकार : गौरव सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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