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बादाम के फूल

badam ke phool

ज्योर्जोस द्रोसिनिस

अन्य

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ज्योर्जोस द्रोसिनिस

बादाम के फूल

ज्योर्जोस द्रोसिनिस

अपने नन्हें-नन्हें हाथों से उसने झकझोरा

बादाम के फूल लदे पेड़ को

पीठ पर, बाँहों पर, कंधों पर, झबरे घुँघराले बालों पर

सफ़ेद फूलों की चादर बिछ गई

मैंने जब देखा उस नादान लड़की को, हिमधवल

मैंने धीमे से प्यार करते हुए कहा—

घुँघराले बालों से कोंपले और पाँखुरियाँ हटाते हुए,

पगली लड़की, अभी इतनी जल्दी क्या है

बालों में सफ़ेदी लाने की—,

वह हिमऋतु तो अपने आप जाएगी!

तब तुम अतीत को चीरकर

व्यर्थ ही इन अठखेलियों को याद करने की कोशिश करोगी—

सन से सफ़ेद बालों पर, एक चश्मा लगाए

बूढ़ी भद्र महिला के रूप में!

स्रोत :
  • पुस्तक : देशान्तर (पृष्ठ 163)
  • संपादक : धर्मवीर भारती
  • रचनाकार : ज्योर्जोस द्रोसिनिस
  • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
  • संस्करण : 1960

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