वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-14
wartikal poetri ha last poemz 14
रोबेर्तो ख्वार्रोस
Roberto Juarroz

वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-14
wartikal poetri ha last poemz 14
Roberto Juarroz
रोबेर्तो ख्वार्रोस
और अधिकरोबेर्तो ख्वार्रोस
नदी को न जानने का अर्थ है तलवार का वार झेलना
और यह मान लेना कि चीज़ें सिर्फ़ अपने सपने देखती हैं
इस बात को नज़रअंदाज़ करना है
कि हमारी नज़र के अलावा एक और नज़र भी है—
दुनिया की गहरी नज़र।
जब हमें उस नज़र के बारे में पता लगता है,
ज़िंदगी ऐसे बदल जाती है जैसे कोई हाथ के दस्ताने को उल्टा कर देता है
दस्ताना उस हाथ को लौटा देता है जिसने इसे पहना हुआ था
आज़ाद हुआ स्पर्श पहली बार चीज़ों को छूता है।
यथार्थ समय की तहों में उलझा हुआ है
इसे हमें ऐसे सुलझाना चाहिए
जैसे हम नाज़ुक कपड़े की तह खोलते हैं
एक हाथ से तह खोलते हैं
तो नीचे एक और हाथ प्रतीक्षा करता हुआ मिलता है
- संपादक : अविनाश मिश्र
- रचनाकार : रोबेर्तो ख्वार्रोस
- प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका, अंक-21
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