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वियोग

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अरमान आनंद

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और अधिकअरमान आनंद

    उस शहर का स्वाद नमकीन हो जाता है

    जहाँ आप अपना प्रेम छोड़ आते हैं

    उस शहर की रातें गीली

    और सुबह की दूब

    ओस के भार से हल्की झुकी होती है

    उस शहर का चेहरा

    प्रेमिका के चेहरे जैसा ही उदास

    मकान, दुकान, मस्जिद, मंदिर, गुरुद्वारों की

    दीवारें बदरंग होती हैं

    उस शहर के बाग़ कुम्हलाए होते हैं

    उस शहर में फूलों में ख़ुशबू नहीं होती

    उस शहर का सूरज आईने पर

    छूटी हुई बिंदी होता है

    उस शहर की छत पर चाँद अकेला आता है

    उस शहर गलियों में हवा धीरे-धीरे गुज़रती है

    रात भर जागे हुए शहर के सुबह की आँखें लाल होती हैं

    उस शहर की शाम देर से ढलती है

    उस शहर में रात

    दुनिया की सबसे बड़ी और बेबस रात होती है

    रात के अंतिम पहर में शहर

    धीरे-धीरे किसी का नाम पुकारता है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अरमान आनंद
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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