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विस्मृत भाषा

vismrt bhaasha

अनुवाद : दुष्यंत

मोनालिसा जेना

अन्य

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मोनालिसा जेना

विस्मृत भाषा

मोनालिसा जेना

और अधिकमोनालिसा जेना

    तुम्हारा मेरा एक अलग अभिधान

    हमारी भाषा समझने वाले लोग

    बहुत ज्यादा नहीं रहे अब

    बीच-बीच में मृदु स्पर्श बनकर

    हमारे आलाप के अंतराल में जो शब्द सब

    तुम्हारी आँखों में मेरी लज्जा में

    तुमको लिखकर भी,

    भेज पाने वाली चिट्ठी पर

    और तुम्हारा सँजोग होने वाले दूरभाष में

    रुद्ध—

    वही सांकेतिक सारे शब्द—

    जिस भाषा का अर्थ, उद्देश्य

    आश्चर्यजनक रूप से जीवित है

    कई शताब्दियों से विस्तारित

    अपरिमित जलराशि, अज्ञात मरुभूमि के भीतर

    गोपनीय प्रणय इतिहास के लेखपत्र में

    एक एक क्षति-पूर्ति की तरह

    तुम समझ पाते हो मेरे अगम्य सुंदर वन

    जान पाते टूटने से पहले का मेरा मन

    मैं चाहती हूँ

    मैं जैसी हो सकती हूँ

    तुम्हारे प्यार की एक अपार्थिव अमानत

    वे समस्त शब्द

    जो एक दिन

    एक सभ्यताहीन भूगोल में

    निर्जनता की प्रतिध्वनि देते हैं

    वह विस्मृत भाषा

    जो मुहूर्त सबका अभिभावक जैसा

    एक दिन लौटा ले जाता है

    तुम्हारा अभिधान पढ़ने का सामर्थ्य

    हमारा अलग अभिधान—

    जिस दिन तुम नहीं समझ पाओगे, प्रियतम!

    प्रेमहीनता का गोपनीय अभिशाप

    एक दिन हो सकता है तिल-तिल दग्ध करेगा तुमको

    ध्वंस कर देगा तुम्हारा राजपाट

    और पड़ा रहेगा राजपथ की धूल में

    तुम्हारा अनावश्यक राजदंड!

    याद करो,

    याद करो प्रियतम!

    हमारी वह विस्मृत भाषा

    और हमारे मिलन का

    मौलिक उत्थान...

    स्रोत :
    • पुस्तक : रहो तुम नक्षत्र की तरह (पृष्ठ 54)
    • रचनाकार : मोनालिसा जेना
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2018

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