Font by Mehr Nastaliq Web

विजेताओं की प्रतीक्षा

vijetaon ki prtiksha

सी. पी. कवाफ़ी

अन्य

अन्य

सी. पी. कवाफ़ी

विजेताओं की प्रतीक्षा

सी. पी. कवाफ़ी

और अधिकसी. पी. कवाफ़ी

    न्यायालय में इकट्ठा हम सब किसकी प्रतीक्षा में हैं?

    आज विजेता आने वाले हैं।

    राज्य सभा में सब चुप क्यों बैठे हैं?

    सभासद क़ानून क्यों नहीं बना रहे?

    क्योंकि आज विजेता आने वाले हैं।

    सभासद अब क्या क़ानून बनाएँ?

    जब विजेता आएँगे वही क़ानून भी बनाएँगे।

    हमारे सम्राट आज इतने सबेरे ही तैयार हो कर

    नगर के मुख्य द्वार पर क्यों उपस्थित हैं?

    सिंहासनारूढ़, सजे-धजे, मुकुट पहन?

    क्योंकि आज विजेता आने वाले हैं।

    सम्राट, उनके नेता का स्वागत करेंगे,

    उसके सम्मान में तैयार किया हुआ एक भाषण पढ़ेंगे

    जिसमें उसे तमाम उपाधियों और गुणों से

    विभूषित किया गया है।

    हमारे दोनों राजदूत बाहर क्यों गए हैं? —और

    दंडनायक,

    अपने लाल ज़री के काम वाले शाल पहने,

    और वे कड़े, मणियाँ, उँगलियों में चमकती हुई

    हीरे की अँगूठियाँ, सोने-चाँदी के मूठ वाली क़ीमती

    छड़ियाँ

    हाथों में, यह सब क्यों?

    क्योंकि आज विजेता आने वाले हैं;

    और इस तरह की चीज़ों से विजेता प्रभावित

    होते हैं।

    हमेशा की तरह आज यहाँ रिहर्सल के लिए

    भाषणकर्ता नहीं आए?

    क्योंकि आज विजेता आएँगे;

    और उन्हें भाषणों, वक्तव्यों से ऊब लगती है।

    क्यों यह हलचल और भभ्भड़ सहसा?

    कितने संजीदा हो गए हैं लोग।

    सड़कें और चौराहे इतनी तेज़ी से ख़ाली क्यों

    होने लगे—

    मुँह लटकाए लोग घरों की ओर क्यों चल पड़े?

    क्योंकि रात हो चली पर विजेता नहीं आए।

    कुछ लोग सीमा से यह सूचना लेकर लौटे हैं

    कि वहाँ विजेताओं का कहीं पता नहीं।

    अब हमारा क्या होगा बिना विजेताओं के?—

    वे लोग कुछ समाधान तो थे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 66)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : सी. पी. कवाफ़ी
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए