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उस वक़्त कहाँ रहते हो तुम

us waqt kahan rahte ho tum

ज्योति रीता

अन्य

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ज्योति रीता

उस वक़्त कहाँ रहते हो तुम

ज्योति रीता

उस वक़्त कहाँ रहते हैं तुम्हारे बच्चे

जब तुम हमारे बच्चों के हाथों में पत्थर थमाते हो

जब तुम्हारे बच्चे

विदेशों के विश्वविद्यालयों में सीख रहे होते हैं

राजनीति के नए तौर-तरीक़े

उस वक़्त हमारे बच्चों के हाथ में धार्मिक झंडा होता है

जब तुम्हारे बच्चे

किसी बड़े रेस्तराँ में लंच का आनंद उठा रहे होते हैं

उस वक़्त हमारे बच्चे

रोज़गार के लिए सड़कों पर भटक रहे होते हैं

जब तुम्हारी बेटियाँ महँगी गाड़ियों में

पब की ओर जाती हैं

उस वक़्त हमारी बेटियों के गले से

कोई दुपट्टा खींच रहा होता है

तुम बयान देते हो

ज़वानी के उन्माद में यह सब होता रहता है

राजनीति की रोटियाँ सेंकते-सेंकते

तुम्हारी जीभ को भी लकवा मार गया है

जाने क़ानून की देवी की

आँखों पर पट्टी किसने बाँध दी और कब

इतनी कालिख के बावजूद

तुम्हारा सफ़ेद कुर्ता

इतना सफ़ेद कैसे रहता है

तुम उस कीचड़ में कभी पैर नहीं डालते

जो हल्की बारिश में सड़कों पर उफनता रहता है

हाथ में समोसे की प्लेट लिए

हवाई यात्राओं से तुम लुत्फ़ लेते हो

प्राकृतिक आपदाओं का

हमारी समस्याओं को ज़ेब में रखकर

तुम लेते हो रेड वाइन की चुस्कियाँ

तुम उसी सत्र से ग़ायब रहते हो

जिस सत्र के लिए तुम्हें चुना गया है

सुर्ख़ियों में बने रहने के लिए

तुम कभी जाते हो

अस्पताल कभी अनाथालय कभी सड़कों पर

हमारे ही पैसों पर ऐय्याशी करते हुए

तुम बनना चाहते हो विश्वगुरू

गांधी के राम को तो तुमने कब का मार दिया

अब जब तुमने एक और राम को पैदा किया है

वह राम भी आज भयभीत हैं

तुम युवाओं को बना देना चाहते हो उन्मादी

तुमने इनका इस्तेमाल किया नारेबाज़ी के लिए

तुम छीन लेना चाहते हो हमसे हमारा ही देश

तुम अज्ञात अपराधी की तरह घूम रहे हो

हमारे इर्द-गिर्द

क़लम थामे हाथों से तुम डरते हो

परंतु तुम्हारी सत्ता की नींव को हिलाने के लिए ज़रूरी है

क़लम की निब को सख़्त होना

हज़ारों ग़लतियों के बाद

तुम जाते हो गंगा-घाट

बजाते हो घंटियाँ

लगाते हो डुबकी

क्या सच में तुम्हारे राम सारे पाप धो देते हैं

क्या सच में तुम पवित्र हो जाते हो

स्रोत :
  • रचनाकार : ज्योति रीता
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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