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उम्मीदों की महक

ummidon ki mahak

खेमकरण ‘सोमन’

अन्य

अन्य

खेमकरण ‘सोमन’

उम्मीदों की महक

खेमकरण ‘सोमन’

और अधिकखेमकरण ‘सोमन’

    कहीं पेड़ घट रहे हैं

    कहीं विचारवान व्यक्ति

    कहीं मैदान, पार्क और खेलने की जगह

    कहीं नदी का पानी का घट रहा है

    कहीं नदी, नहर, कुँआ और तालाब

    कहीं खेत-खेती, बाग

    कहीं स्कूल से बच्चे

    कहीं स्कूल और कहीं शिक्षक

    कहीं सम्मान में झुककर चलने वाले

    शब्द, सार और सिर

    कहीं उम्मीदों की महक घट रही है

    कहीं सोचने-समझने की क्षमता

    कहीं न्याय की लकीरें

    कहीं हाथों में हाथ डालकर चलने वाले हाथ

    कहीं घर-मकान, आँगन

    कहीं शोषण के विरूद्ध उठने वाली आवाज़ें

    और कहीं नौकरी

    कहीं सपने देखने की इच्छाएँ घट रही हैं

    कहीं मिलने-जुलने की गर्माहट

    कहीं मन, अमन-चैन, सकून

    कहीं हँसी-मुस्कान की मोटाई

    कहीं ख़ून,

    कहीं ख़ून में लालिमा-ईमानदारी

    कहीं घट रहा है आँखों का पानी!

    और कहीं-कहीं लड़कियाँ

    घट रहा है इतना कुछ

    और बढ़ती जा रही है सुबह की परछाई की तरह

    इक्कीसवीं सदी के माथे पर चिंता- विलासिता।

    स्रोत :
    • रचनाकार : खेमकरण ‘सोमन’
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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