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उग्रवाद

ugrawad

प्रकृति करगेती

अन्य

अन्य

और अधिकप्रकृति करगेती

    मेरे अंदर कुछ उग्रवादी रहते हैं

    उनका होता है पाँच दिन का उग्रवाद

    और कभी उससे भी कम...

    इनका ये रिसता उग्रवाद

    कपड़ों की परतों से रिसता है

    मेरी योनि से टपकता है

    दाग़ लगाता है...

    एक कराह करके उठती हूँ सुबह

    शिकायत नहीं है

    मंज़ूर है कि इनका संघर्ष चलता रहे

    आख़िर एक जान गई है मेरे अंदर

    एक अंडा फूटा है विरोध में उसके

    बड़ा लाज़मी है ये वबाल

    धीरे-धीरे अंदर का

    लोहा ही तो कम होता है बस

    ये लाल रंग की क्रांति है

    ये पाँच दिन की क्रांति है

    फिर सब शांत हो जाएगा

    मैं भी भूल जाऊँगी

    पर ये उग्रवादी फिर आएँगे

    आएँगे मेरा लोहा कम करने

    बिन बताए

    चुपचाप…

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रकृति करगेती
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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