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उदयराग

udayrag

अनुवाद : दुष्यंत

मोनालिसा जेना

अन्य

अन्य

और अधिकमोनालिसा जेना

    उसके हाथों में

    जब तक दक्षिणमेघ के माणिक्य

    तब तक उसके आवेग निरंतर

    भाव में चलप्रचलता

    आह्लाद की छाया में

    बाहर है चाँदी जैसी वर्षा

    और उसकी अनवरत् अभिलाषा

    काँच की खिड़की के उस तरफ़

    चाँदनी रात के क्लान्त अभियोग

    कोहरा सा कोहरा था

    घने देवदारू में

    स्वप्न का सान्निध्य

    उसके बाजुओं के बंधन में

    नाच रहा था छंद में

    मेरा मोह, मेरा मोक्ष

    उतर आयी थी उसके

    खुमार भरे भँवर के अंदर

    जहाँ निरापद,

    मेरा स्वच्छंद असंभव नृत्य

    सूरज के आनन्दाश्रु कितने कोमल उस दिन!

    सुहागिन स्पंदन सब

    उस समय

    चुम्बनचिह्न निर्वाक् दीवारों पर

    लबे से वराण्डे के शीशों पर मदालसी नींद

    उस दिन मध्याह्न

    एक अभिसार का

    उस दिन तर्जनी में लगा था क्षत सौकौमार्य का

    उस दिन ही जैसे मेरा प्रथम सम्भोग

    अयमारम्भ में एक स्थायी संबंध।

    स्रोत :
    • पुस्तक : रहो तुम नक्षत्र की तरह (पृष्ठ 99)
    • रचनाकार : मोनालिसा जेना
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2018

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