Font by Mehr Nastaliq Web

उदास क्यों रहती हो

udas kyon rahti ho

नीरव

अन्य

अन्य

नीरव

उदास क्यों रहती हो

नीरव

और अधिकनीरव

    जब-तब ये दुनिया तुम्हारे पाँव में काँटे-सी चुभती रहती है

    तुम चाहो तो मेरी खाल को चप्पल की तरह पहन सकती हो

    या क़ालीन की तरह बिछा सकती हो

    नहीं इसमें यातना नहीं

    तनिक भी

    तुम्हारे प्यार ने मुझे पानी-सा तरल कर दिया है

    कुहासे की किसी सुबह

    मुझे छूकर गुनगुना कर सकती हो

    और अपने केश धो सकती हो

    मुझे अक्षर-अक्षर पिरोकर वो गीत गूँथ सकती हो

    जिसे पहले गुनगुनाया करती थी

    राख बनाके बासन माँज सकती हो

    चौका लीप सकती हो

    पोतनी-माटी बनाकर

    बुझे मन कुछ अधिक बनाने का मन करे

    तो मुझे माँड़ बनाकर खा सकती हो

    दीप की तरह बाल सकती हो

    घंटियों-सा बजा सकती हो

    मंत्र-सा उच्चार सकती हो

    स्वप्न बनाकर

    अपनी नींद के बग़ल में

    सोते शिशु-सा रख सकती हो

    प्रेम कर सकती हो मुझसे

    मेरी तरह

    तुम मुझे खा सकती हो

    गा सकती हो

    पी सकती हो

    जी सकती हो

    तब फिर बताओ

    उदास क्यों रहती हो?

    स्रोत :
    • रचनाकार : नीरव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए