तुम

tum

वंदना टेटे

तुम

सुकून भरी अलमस्त नींद

मुर्ग़े की बाँग

कलेवा का भोज

शाम की चाय

और

रात की लोरियों की तरह हो

क्या तुम्हें पता है?

तुम चिड़ियों की तरह हो

क्या तुम्हें पता है?

तुम चिड़ियों का कलरव

जीवंत संगीत

बच्चों की किलकारी

चिर प्रतीक्षित मेहमान

कौए की टेर

और

रात में छत पर पसरी

चाँदनी की तरह हो

तुम मिलने से पहले

बिछुड़ने की बेचैनी

बरसों के अंतराल का टूटता नेहबंध

आग़ोश में लेने को

आतुर दशम की दह-दह

करती गूँज

साल वनों से आती

चिन्ही-अनचीन्ही पुकार की तरह हो

जानते हो तुम?

शाम को गोधूलि बेला में

लौटते बैलों की

ठरकी और घंटी की

मिश्रित आवाज़ हो

धूल हो

हाँ, तुम मुझमें ऊर्जा भरने वाले

ऊर्जा के स्रोत हो।

स्रोत :
  • रचनाकार : वंदना टेटे
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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