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तुम भी लिखो ना

tum bhi likho na

नितेश व्यास

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नितेश व्यास

तुम भी लिखो ना

नितेश व्यास

और अधिकनितेश व्यास

    तुम भी लिखो ना

    कि तुम्हारे लिखे बिना नहीं होगा

    यह महाकाव्य पूरा

    जहाँ भी हो तुम

    वहीं से शुरू करो लिखना

    मत सोचो कि

    पर्वत की गुफा या ऊँचाई पर

    अथवा अथाह जल-राशि के निकट ही होगा आरंभ

    कविता का

    तुम तो बस लिख दो

    कि ज़रूरी है लिखना

    जैसे ज़रूरी है जीना

    मत करो प्रतीक्षा

    किसी क्रौंच के फिर से मारे जाने की

    मत करो प्रतीक्षा 

    किसी राजकुमारी की

    जो करे तुम्हारा तिरस्कार

    तब उठने तुम्हारी लेखनी 

    उससे पहले ही लिख दो

    कि

    नहीं होगा विधाता की

    परमेष्ठी संख्या का पूर्णांक

    तुम्हारे लिखे बिना

    ग्लेशियर के पिघलने की प्रतीक्षा में 

    नदियों के सूखने के इंतज़ार में 

    मत गवाओ समय

    सब कुछ पिघल चुका है

    गल चुका है

    सूख चुका है

    बस लिख दो

    नहीं है शब्द 

    ना सही

    आँसुओं ही से भीगो दो

    काग़ज़ को

    वह पढ लेगा

    जिसने शुरू किया होगा लिखना॥

    स्रोत :
    • रचनाकार : नितेश व्यास
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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