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पीछा

pichha

निधीश त्यागी

अन्य

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और अधिकनिधीश त्यागी

     

    चितरूपा पालित के लिए

    दंगे, लाठीचार्ज, दुर्घटना, भूख और असफल प्रेम
    में मारे जाने वालों
    अगर मेरा नाम नहीं है
    तो मैं क्या करूँ, कहाँ जाऊँ
    शवयात्राओं में शामिल हो जाऊँ
    मंदिर जाकर धन्यवाद ज्ञापन दूँ
    या चुपचाप राशन की लाइन मे लग बूढ़ा हो जाऊँ
    अस्पताल में भर्ती करवा लूँ अपने आपको
    आख़िर क्या से कौन हो जाऊँ

    पड़ोस मे कैशोर्य क्यों नहीं कर पाता है प्रेम
    और कैसे कर लेता है आत्महत्या
    क्या उस पर रिपोर्ट लिखने की तैयारी की जाए
    या फिर अगली सहस्राब्दी के स्वागत की
    भर्ती हो जाऊँ फ़ौज में
    या कमरे में दुबक जाऊँ अँधेरे को घूरते
    या आँख मींच कर जबलपुर के किसी पार्क के पेड़ पर
    निर्वस्त्र लटक जाऊँ
    आख़िर कहाँ चला जाऊँ

    शिनाख़्त हो चुकी लाशों में
    लावारिस लाशों में अगर मेरा चेहरा नहीं तो
    क्या संविधान को समझने का प्रयास करूँ
    उस धारा को तलाश करूँ
    जिसकी वजह से दंगे, लाठीचार्ज, भूख, दुर्घटना से
    मैं नहीं मरा
    बर्फ़ हो जाऊँ या बादल
    और सफ़ाई दूँ अपनी हर साँस का हर साँस को
    लोकतंत्र पर गौरवान्वित होना शुरू करूँ
    रेडियो बंद कर गाऊँ ज़ोर से राष्ट्रगीत
    और सुने वे चुपचाप, स्तब्ध, फटी आँखों से
    पड़ोस, फुटपाथ, जुलूस के लोग
    जो अकाल मृत्यु को उपलब्ध हुए
    कहाँ से कहाँ को निकल जाऊँ
    या सिर्फ़ बाँचूँ अख़बार
    या देख आऊँ सिनेमा
    या दिखलाता फिरूँ अपनी कुंडली फलाने ज्योतिषी को ढिकानी बार

    भाग्य पर भरोसा कर
    निफ़राम हो सो जाऊँ
    सपनों में सुराख़ कर बिल बनाऊँ
    जीवन की सुविधा के लिए
    बार-बार ख़ुद को परिभाषित करूँ
    या बिना रीढ़ का एक्स-रे करवाए
    कौओं की ऐय्याशी के लिए
    हो जाऊँ क़ुतुबमीनार

    क्या करूँ, क्या करूँ? 

    दंगे, लाठीचार्ज, दुर्घटना, भूख, असफल प्रेम
    से बच भी जाएँ
    बिना कुछ किए
    बिना कुछ जिए
    बिना कुछ लिए
    बिना कुछ दिए

    उनसे क्या, कैसे, कहाँ बचें
    जो नहीं बचे।

    स्रोत :
    • रचनाकार : निधीश त्यागी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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