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मैं फिर आऊँगा

main phir aunga

भवानीप्रसाद मिश्र

भवानीप्रसाद मिश्र

मैं फिर आऊँगा

भवानीप्रसाद मिश्र

गतिहीन समय ने

मुझे इस तरह फेंक दिया है

अपने से दूर

जिस तरह फेंक नहीं पाती हैं

चट्टानें लहरों को

मैं समय तक आया था यों

कि उसे भी आगे बढ़ाऊँ

मगर उसने

मुझे पीछें फेंक दिया है

मैं चला था जहाँ से

अलबत्ता वहाँ तक तो

नहीं ढकेल पाया है वह मुझे

और कुछ कुछ मेरा

समय को भले नहीं

सरका पाया है आगे

ख़ुद कुछ आगे चला गया है उससे

लाँघकर उसे छिटक गए हैं

मेरे शब्द

मगर मैं उसे अब

समूचा लाँघकर

आगे बढ़ना चाहता हूँ

अभी नहीं हो रहा है उतना

इतना करना है मुझे

और इसके लिए

मैं फिर आऊँगा।

स्रोत :
  • पुस्तक : मन एक मैली क़मीज़ है (पृष्ठ 87)
  • संपादक : नंदकिशोर आचार्य
  • रचनाकार : भवानी प्रसाद मिश्र
  • प्रकाशन : वाग्देवी प्रकाशन
  • संस्करण : 1998

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