हाथ और साथ का फ़र्क़

hath aur sath ka farq

जावेद आलम ख़ान

जावेद आलम ख़ान

हाथ और साथ का फ़र्क़

जावेद आलम ख़ान

साथ लेकर चलना अलग बात है

हाथ में हाथ लेकर चलना अलग बात

नदी के दो छोरो पर खड़े

दो लोगों का हाथ पकड़कर चलना

नदी की चौड़ाई से ज़्यादा

दिलों के फ़ासले से तय होता है

दिमाग़ में एक साथ रहने वाले मनु और अंबेडकर

क्या दिल में रखे जा सकते हैं एक साथ

एक नारी की चेतना में

द्वंद्व करने वाली परंपराएँ और सिमोन की किताब

क्या विचारों से निकलकर

व्यवहार में निभाई जा सकती हैं एक साथ

वह कौन-सी ज़बान है ज़िल्ले-इलाही

जो गांधी का नाम लेकर युद्ध का आह्वान करती है

वह कौन-से हाथ हैं

जो दंगाइयों के डंडों में तिरंगा बाँधते हैं

वह कौन-सी आदमीयत है

जो आदमी को मज़हब से पहचानती है

हास्य की वह कौन-सी कला है

जो सिर्फ़ खिल्ली उड़ाना जानती है

संविधान को बदले बिना क़ानून कैसे बदल जाते हैं

समानता के दायरे में कैसे बाँधी जाती है स्वतंत्रता

विषोत्पादन के युग को कैसे साबित किया जाता है : अमृतकाल

यह समझने के लिए बंद कमरों की गोष्ठियाँ नहीं

सिर्फ़ इस प्रक्रिया के महीन तंतुओं की समझ ज़रूरी है

कि साथी हाथ बढ़ाना की लोक धुन कैसे बदली

सबका साथ सबका विकास के सरकारी जुमलों में

सियासत के लंबे फ़लसफ़े मुझे नहीं मालूम

लंबी तक़रीरों में हाथ तंग है अपना

तुम्हारी वाक्-पटुता के नकार में जन्मा

इतना-सा वाक्य ही मेरा तर्क है

कि संविधान और क़ानून का फ़र्क़

दरअस्ल, हाथ और साथ का फ़र्क़ है

स्रोत :
  • रचनाकार : जावेद आलम ख़ान
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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