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टीलो

tilo

सोमप्रभ

अन्य

अन्य

सोमप्रभ

टीलो

सोमप्रभ

और अधिकसोमप्रभ

    बहुत-बहुत पुरानी चीज़ों के बारे में नहीं जानने लगे हैं लोग

    टीलो बहुत दिनों से नहीं कहा गया शब्द है

    और सिप्पल बहुत दिनों से अदेखी चीज़।

    टीलो के बारे में कम जानने लगे हैं लोग

    अगर कुआँ होता उस समतल ज़मीन पर

    तो टूटी हूई खपरैलों से सबसे गोल सिप्पलें

    बनाने की दीवानगी का कोई निशान अवश्य होता।

    अगर समतल होतीं ऐसी सैकड़ों जगहें तो आस-पास

    इतिहास के नमूने की तरह पड़ी हो सकती थीं

    पकी हुई मिट्टी की गोल-गोल सिप्पलें।

    सिप्पलों के बारे में बहुत कम जानने लगे हैं लोग

    हममें से कइयों के सपने में इन दिनों अक्सर

    बहुत अजीब तरह से आता है यह खेल।

    टीलो जब आख़िरी बार खेला जा रहा था

    तब टीलो नहीं कह पाए थे लोग

    सिप्पलें कहीं ग़ायब हो गई थीं या कम पड़ गई थीं

    जबकि टीलो के खेल मे टीलो कहना

    यह कहना है कि

    सिप्पलें वापस रख दी गई हैं

    या बन गई है बिगड़ी हुई चीज़।

    सिर्फ़ सिप्पलें भर नहीं ग़ायब हुईं

    बहुत-सी चीज़ें अब नहीं दिखाई देतीं

    कहीं कहीं से कुछ कुछ ज़रूर ऐसा है

    जो नहीं है

    धीरे-धीरे उसके होने की जगह तक भी

    हम बदहवास से ढूँढ़ने निकले हैं

    सिप्पलें

    कि तेज से चिल्लाकर कह सके ‘टीलो’

    क्योंकि टीलो के खेल में

    टीलो कहना

    यह कहना है कि बन गई है बिगड़ी हुई चीज़।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सोमप्रभ
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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