Font by Mehr Nastaliq Web

ठुमरी

thumri

आकृति विज्ञा 'अर्पण’

अन्य

अन्य

और अधिकआकृति विज्ञा 'अर्पण’

    भौजी के ताना सुन हिया घबराइल 

    कई-कई रात हमके अन्न ने घोटाइल-2

    दिन नाही बहुरत मोर अब नन्दलला

    गवना लेवन के सजन जी जां

    प्रभु से अरजिया कइलीं दिनराती

    गवना लेवन के सजन जी जां

    प्रभु से अरजिया...

    दिन नाही बहुरत मोर अब नन्दलला

    गवना लेवन के सजन जी जां

    प्रभु से अरजिया...

    रुखा सूखा खाई लेबें

    मड़वो पकाई लेबें-2

    मड़ई के मानि लेइब 

    महल के छाजा

    गवना लेवन के सजन जी जां

    प्रभु से अरजिया कइलीं दिनराती

    गवना लेवन के सजन जी जां

    प्रभु से अरजिया...

    माई बिन नईहर कईसन

    बोझ होली धीयवा 

    रोज-रोज कपरा बाजे

    तनवा के बाजा

    गवना लेवन के सजन जी जां

    प्रभु से अरजिया कइलीं दिनराती

    गवना लेवन के सजन जी जां

    प्रभु से अरजिया...

    स्रोत :
    • रचनाकार : आकृति विज्ञा 'अर्पण’
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए