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तकियाकलाम

takiyaklam

मलयज

अन्य

अन्य

मलयज

तकियाकलाम

मलयज

और अधिकमलयज

    घुड़साल में घोड़े की घास

    और दुलत्ती में फँसे

    वे नहीं बोलेंगे

    क्योंकि उनके मरने के जश्न में

    शामिल नहीं हुआ था मैं

    बड़ी धूम थी उस जश्न की पत्रिकाओं में

    काव्य-रसिकों की आँखों में उनका घुटा हुआ सिर

    राष्ट्रीय सम्मान के कफ़न में लिपटा

    कितना भव्य था! कितना उदास!! हताश!!!

    उन्होंने अपनी जेब में

    ब्लेड से चीरा लगा लिया था

    कि गिरते हुए तमग़े उनकी समाधि तक लोगों को

    ले जाएँ... वहाँ एक पेड़ पर

    उनकी फटी हई क़मीज़ स्वागतम् की तरह

    फहरा रही थी

    और बादलों के बिंब तमग़ों को

    नम कर रहे थे

    मैंने कहा, उन बादलों में पानी नहीं सिर्फ़ आह है

    आग नहीं सिर्फ़ चमक

    शब्दों का पैंतरा, ज़बान नहीं तकियाकलाम

    एक जगह पर कर लगाम टूट गई है

    रें रें रें बरस रहा है गुलदस्ते में सज़ा

    बिखराव

    दो टाँग पर खड़ा

    कविता पर मूत रहा है

    स्रोत :
    • पुस्तक : अपने होने को अप्रकाशित करता हुआ (पृष्ठ 25)
    • रचनाकार : मलयज
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 1980

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