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सुहावना वसंत

suhavna vasant

यीव बोनफ़्वा

यीव बोनफ़्वा

सुहावना वसंत

यीव बोनफ़्वा

प्रेत-सी आग के सताये थे दिन अपने

उसी में हुए विलीन,

भोर हुआ करती थी और भी उदास

अग्नि-धार से छिलता जाता था वक़्त,

छत पर टकराती थीं मौत से हवाएँ

सर्द दिल हमारे हो जाते थे सर्दतर।

सुहाना वसंत था अलस, गहन, मर्मान्तक

प्रिय लगती थी तुमको वासंती वृष्टि,

प्रियतर थी मृत्यु बहुत ही प्रिय वसंत से,

राख हुए डैनों का फरहरा उड़ाती।

उसी बरस लगभग पहचान लिया तुमने

काला निशान स्वयं आँखों के सामने

पत्थर पर हवा पर जल पर हरे पत्तों पर।

कोमल थी मिट्टी हल से कटती जाती थी

तुमको गई रास यह नूतन ज्योति

वासंती धरती पर डरने की चरम पुलक।

निर्जन गुफ़ा में सुन पड़ती है अक्सर (मैंने सुना चाहा?)

शाखाओं में उलझी, फिसलती हुई काया—

अंधी छलाँग—दीर्घ औ' धीमी,

रुकती टूटती कभी किसी चीख़ से।

किस तरह प्रकाश

तय करता राह उस प्रदेश में

जिस में जन्म है मृत्यु!

स्रोत :
  • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 444)
  • संपादक : वंशी माहेश्वरी
  • रचनाकार : यीव बोनफ़्वा
  • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
  • संस्करण : 2020
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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