स्त्रीत्व और सिद्धि

streetv aur siddhi

अनुजीत इक़बाल

अनुजीत इक़बाल

स्त्रीत्व और सिद्धि

अनुजीत इक़बाल

बेवजह होने वाली घटनाओं की वजह

बेहद गहरी और अवर्णनीय होती है

जैसे इस पृथ्वी ग्रह के बंधन तोड़कर

दृढ़ता से जुड़ा हुआ

हम दोनों का पारलौकिक संबंध

मेरे स्त्रीत्व का आयाम देखो

मुझे तुम्हारी प्रेमिका नहीं

बल्कि उपासिका बनकर रहना था

निश्चित तौर पर

प्रकृति ने हमारे संबंध का लेखा

किसी विस्मृत भाषा में

पहाड़ों और जंगलों में अंकित किया हुआ है

ये आकर्षक है लेकिन बंधनकारी नहीं

तुम्हारी वज्र-सी फुर्तीली

और प्रखर आवाज़ सुनकर

मैं ऐसे ध्यानस्थ हो जाती हूँ

जैसे कोई भिक्षुणी शून्य में चली जाए

और वह क्षण जब तुम मेरे सामने होते हो

किसी बौद्ध मठ की चौखट

चूमने के सामान होता है

वस्तुतः कई बार

आवश्यकता नहीं रह जाती कि तुम सामने रहो

इतना सघन प्रेम कि

तुम्हारी भौतिक उपस्थिति से अधिक सजीव

तुमको देख लेती हूँ

और मेरी इंद्रियाँ प्रतिक्रिया देने लग जाती हैं

ऐसे जादू केवल प्रेम में पैदा होते हैं

और मुझे इनकी सिद्धि प्राप्त है

जीवन का उत्सव है वह स्तुति

जिसमें देवता का ध्यान भी रहे

और उसके नामों का अजपा जाप

साँसों पर चलता रहे

प्रतिक्षण, प्रतिपल

स्रोत :
  • रचनाकार : अनुजीत इक़बाल
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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