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मृतक-संस्कार

mritak sanskar

अनुवाद : विष्णु खरे

टी. एस. एलियट

अन्य

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टी. एस. एलियट

मृतक-संस्कार

टी. एस. एलियट

और अधिकटी. एस. एलियट

    अप्रैल
    मृत भूमि से बकाइन के पुष्पों को उगाने वाला
    स्मृति तथा अभिलाषाओं को सम्मिलित करने वाला
    शिथिल जड़ों को वासंती जल से उकसाने वाला
    क्रूरतम मास है।
    पृथ्वी को विस्मारक बर्फ़ से ढँककर, सूखे कंदों को थोड़ा-सा जीवन देते हुए
    ठंड ने हमें गर्म रखा।
    स्टार्नबर्जर्सी से आते हुए
    वर्षा के एक झले ने हमें आश्चर्यान्वित किया; हम कॉलोनेड में रुके
    और हॉफ़गार्तेन तक सूर्य के उजियारे में चलते गए
    और कॉफ़ी पी, तथा एक घंटे तक बातचीत की।
    मैं लिथुआनिया से आई रशियन नहीं हूँ, शुद्ध जर्मन हूँ।
    और जब हम छोटे थे, मेरे चचेरे भाई
    आर्क-ड्यूक के साथ ठहरे थे, तब वह स्लेड पर मुझे बाहर ले गया
    और मैं डर गई। वह बोला, मेरी,
    मेरी, कसकर जकड़े रहो। और नीचे गए हम।
    पहाड़ों में बड़ा स्वतंत्र लगता है।
    काफ़ी रात तक मैं पढ़ती हूँ और ठंढ में दक्खिन जाती हूँ।   

    कौन-सी जड़ हैं जो जकड़ती हैं, इस पथरीले कूड़े-करकट से
    कौन सी शाखें उगती हैं? मानव-पुत्र,
    तुम न कह सकते न बूझ सकते, क्योंकि तुम
    केवल भग्न छायाओं के इस ढेर को ही जानते हो, जहाँ सूर्य तपता है
    मृत वृक्ष छाया नहीं देता, झींगुर मुक्ति नहीं देता
    और शुष्क पाषाण जल की ध्वनि। केवल
    इस लोहित शिला के तले छाया है
    [इस लोहित शिला की छाया तले आओ]
    और मैं तुम्हें इन दोनों से भिन्न एक वस्तु दिखाऊँगा;
    प्रातः तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे क़दम रखती हुई
    अथवा शाम को तुम्हारी छाया तुमसे मिलने के लिए उठती हुई;
    मैं तुम्हें एक मुट्ठी धूल में भय दिखाऊँगा।

    नूतन पवन
    स्वदेश की ओर बहती है
    मेरी आइरिश बच्ची
    तू कहाँ है?

    'सबसे पहिले पिछले वर्ष तुमने मुझे हियासिंथ के फूल दिए थे',
    'उन्होंने मुझे हियासिंथ-युवती कहा था।'
    —तो भी जब हम हियासिंथ के बाग़ से देर से आए,
    तुम्हारे हाथ भरे हुए, और तुम्हारे केश गीले, मैं बोल न सकी
    तथा मेरी आँखें घबराईं, मैं न
    जीवित थी न मृत, और मैं कुछ न जान पाई 
    प्रकाश के हृदय में देखते हुए, मौन
    उदधि विस्तृत एवं शून्य।

    मदाम सोसोस्त्री, प्रसिद्ध भविष्यदर्शिनी को 
    विकट सर्दी हो गई थी, तथापि वे
    यूरोप की सर्वाधिक बुद्धिमती,
    एक अशुभ ताश की जोड़ी वाली महिला के रूप में प्रसिद्ध हैं।
    यह, वे बोलीं, है तुम्हारा पत्ता, फीनीशिया का डूबा हुआ नाविक,
    (वह हैं मोती जो उसकी आँखें थीं, देखो!)
    यह है बेलाडोना, शिलाओं की स्वामिनी,
    स्थितियों की स्वामिनी।
    यह है तीन पायदानों वाला आदमी, और यह है चक्र,
    और यह एक आँख वाला सौदागर, और यह ताश,
    जो कोरा है, ये अपनी पीठ पर ढोता है,
    जिसे मुझे देखने को मना किया गया है। लटकते हुए आदमी को
    मैं नहीं पा रही हूँ। जल-मृत्यु से डरो।
    एक चक्र में घूमते हुए मैं जन-समुदायों को देखती हूँ।
    शुक्रिया। अगर आप प्रिय श्रीमती इक्विटोन से मिलें
    तो बताइएगा कि मैं कुंडली ख़ुद ही लाऊँगी :
    आजकल बहुत होशियार रहना चाहिए।

    असत्य नगरी,
    शीत प्रातःकाल के भूरे कुहरे में
    एक झुंड लंदन पुल पर से खिसका, इतने,
    मैंने नहीं सोचा था कि मृत्यु ने इतने लोगों को कुंठित कर दिया था।
    आहें, क्षीण तथा रुक-रुक कर, भरी गईं
    और हरेक मानव ने अपनी आँखें अपने पैरों पर गड़ाईं।
    पहाड़ी के ऊपर से तथा किंग विलियम स्ट्रीट से सरका
    उस ओर जहाँ सेंट मेरी वुलनॉथ का गिरजा नौ के अंतिम घंटे पर
    एक मृत ध्वनि से समय बतलाता था
    वहाँ मैंने एक जाने व्यक्ति को देखा तथा उसे चिल्लाकर रोका :
    'स्टैट्सन!
    तुम जो माइली में मेरे साथ जहाज़ों पर थे!
    वह शव जो तुमने पिछले वर्ष अपने बाग़ में गाड़ा था,
    क्या उसने उगना शुरू कर दिया? क्या वो इस साल खिलेगा?
    या आकस्मिक तुषार ने उसकी भूमि को अस्तव्यस्त कर दिया है?
    ओह कुत्ते को वहाँ से दूर रखो, वह मनुष्य के लिए मित्र है
    नहीं तो अपने नाख़ूनों से वह उसे फिर खोद निकालेगा
    तुम! पाखण्डी पाठक!—मेरे सदृश,—मेरे सहोदर!'    

     

    स्रोत :
    • पुस्तक : मरु-प्रदेश और अन्य कविताएँ (पृष्ठ 43)
    • रचनाकार : टी. एस. एलियट
    • प्रकाशन : नोबेल साहित्य प्रकाशक, कटक-2
    • संस्करण : 1960

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