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शब्दकोश

shabdkosh

सिद्धेश्वर सिंह

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और अधिकसिद्धेश्वर सिंह

    गर्मियों में लगभग सूख जाती है नदी

    पुल पर खड़े होकर देखो तो

    एकसार दिखाई देते हैं दोनों ओर के दो पाट

    जहाँ होना चाहिए था जल वहाँ अब रेत है

    जहाँ होना चाहिए था जलचर को विहार करते

    वहाँ अब काँस है सरपत है और उड़ती हुई धूल है

    यह लगभग सूखना शब्द भी इतना क्रूर है

    कि इसे मान लिया जाना चाहिए सूख जाने का पर्याय

    मैं चुपचाप शब्दकोश उठाता हूँ

    और काट देता हूँ सदानीरा शब्द को लगभग निर्दयता से

    काग़ज़ की काया पर फैल जाती है एक लाल लकीर

    जैसे कि धीरे-धीरे रिस रहा हो रक्त

    नदी को सबसे ज़्यादा प्रतीक्षा रहती थी कभी बारिश की

    बारिश को देख कर कभी उमगता था नदी का मन

    अब जबकि शुष्क होते चले गए हैं सारे कुएँ

    पाट कर मकान बना दिए गए हैं सब ताल-पोखर

    तबसे बारिश है कि वह हो गई है लगभग बारिश

    मेघ हो गए हैं लगभग मेघ

    और मैं चिंतित हूँ कि किसी दिन अचानक ही

    कंठ में अटकी हुई भाषा भी हो जाए लगभग भाषा

    मैं एक सूखी हुई हुई नदी के बेमक़सद पुल पर

    उम्मीद की पतंगों का गट्ठर लिए खड़ा हूँ

    यह एक आदिम ज़िद की अकड़ है या कि कुछ और

    आसमान में पूरी बेशर्मी से

    चमक रहा है दुपहर का दर्प भरा सूर्य

    हवा ठिठकी हुई है किसी अनिष्ट के भय से

    फिर भी नदी है कि बार-बार दे रही है दिलासा

    मैं फिर से उठाता हूँ शब्दकोश

    नदी शब्द का एक और अर्थ दिखता है—आशा!

    स्रोत :
    • रचनाकार : सिद्धेश्वर सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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