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लौह-सेब

lauh seb

अनुवाद : सोमदत्त

वास्को पोपा

अन्य

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वास्को पोपा

लौह-सेब

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और अधिकवास्को पोपा

     

    कहाँ है मेरी शांति
    अभेद्य शांति

    लौह-सेब
    छिद गया है मेरो खोपड़ी में अपने डंठल सहित
    मैं उसे चबाता हूँ
    चबा गया गया हूँ मैं अपने ओंठ

    अपनी शाखाओं से उसने मुझे अटकाया
    मैं कोशिश करता हूँ उन्हें तोड़ने की
    तोड़ ली हैं मैंने अपनी उँगलियाँ

    कहाँ है मेरी शांति
    अखण्डनीय शांति

    लौह-सेब ने
    उतार दी हैं अपनी जड़ें
    गहरे मेरी नरम चट्टान में
    उखाड़ता हूँ मैं उनको
    उखाड़ डाले हैं मैंने अपने नाख़ून

    अपने क्रूर फल से वह मोटा करता है मुझे
    मैं उसमें छेद करता हूँ
    छेद डाला है मैंने अपना मस्तिष्क

    कहाँ है मेरी-शांति
    लौह-सेब का अपना होने के लिए
    पहले जंग खाओ फिर फूलो शरद में
    कहाँ है कहाँ है मेरी शांति।

                     
    स्रोत :
    • पुस्तक : नन्ही डिबिया (पृष्ठ 40)
    • रचनाकार : वास्को पोपा
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1988

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