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हकले की धरोहर

hakle ki dharohar

अनुवाद : सोमदत्त

वास्को पोपा

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वास्को पोपा

हकले की धरोहर

वास्को पोपा

और अधिकवास्को पोपा

     

    उसके शब्द रह गए उसके बाद भी
    संसार से भी ज़्यादा चमकदार
    कोई हिम्मत नहीं करता उनसे आँख मिलाने की

    वे इंतज़ार करते हैं समय के मोड़ पर
    लोगों से भी ज़्यादा बडे
    कोई है जो उन्हें उच्चार सके

    लेटे रहते हैं वे गूँगी धरती पर
    ज़िंदगी की हड्डियों से भी ज़्यादा वज़नदार
    मौत से बना नहीं
    ढोकर ले जाते उन्हें दहेज़ में

    कोई उठा नहीं पाता उन्हें
    कोई फेंक नहीं सकता उनको नीचे

    गिरते तारे छिपाते हैं अपने सिर
    उसके शब्दों की छाँह में।

               
    स्रोत :
    • पुस्तक : नन्ही डिबिया (पृष्ठ 91)
    • रचनाकार : वास्को पोपा
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1988

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