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एक निंदनीय कटार

ek nindniy katar

अनुवाद : शिवकुटी लाल वर्मा

वास्को पोपा

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वास्को पोपा

एक निंदनीय कटार

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    भूरी आँखों वाली एक नग्न कटार

    आकाश-गंगा के बीच पड़ी है!

    तारा-धूल में यह किस प्रकार पलटे खाती है!

    किस प्रकार यह फुर्ती से उछलती है!

    क्या यह अपनी ही मासूम छाया को

    घायल करना चाहती है?

    इसकी धार किस तरह चमकती है!

    हर ओर से चमकती हुई,

    क्या यह किसी को संकेत दे रही है?

    सितारों के जलूस इससे कतराते हैं

    और दिल के आकार की एक ख़ाली जगह

    इसके चारों ओर छोड़ देते हैं!

    कहाँ है वह सबसे गौरवशाली हाथ

    जिसने ऊपर वहाँ

    सधे अंदाज़ से इसे फेंका था

    फिर वापस या जाने के लिए?

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 201)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : वास्को पोपा
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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