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समीकरण

samikran

प्रियंकर पालीवाल

अन्य

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और अधिकप्रियंकर पालीवाल

    पुल से गुजरते व्यक्ति

    और नीचे नदी में बहती

    बेकफ़न लाश का यह समीकरण

    कुछ अजीब-सा अवश्य है

    पर है सत्य

    क्योंकि सच अक्सर

    अजीब ही होता है

    वहीं पुल पर ही तो देखा था

    थके-हारे क़दमों से आती

    पथराई-सी आँखों वाली

    उस फटेहाल महिला को

    जिसके वस्त्रों से शायद

    तमाम राजनैतिक दल

    अपने झँडे बना चुके थे

    और अनुभव किया इस सत्य को

    कि इस युग में द्रौपदियों के

    चीर नहीं बढ़ा करते

    यह भी कि इस अभिशप्त युग का

    धर्म कहीं खो गया है

    तथा कृष्ण दुःशासन में

    समान नीतियों के आधार पर

    समझौता हो गया है

    वे शांतिपूर्ण सहअस्तित्व में

    विश्वास रखते हैं

    तथा एक-दूसरे की संप्रभुता का

    पूरा सम्मान करते हैं

    तब ठीक-ठीक समझ में आया

    यह समीकरण कि जहाँ

    नारियाँ वस्त्राभाव में

    लाज भी ढंक पा रही हों

    वहाँ लाश का बेकफ़न होना

    कुछ भी अजीब नहीं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : वृष्टि-छाया प्रदेश का कवि (पृष्ठ 15)
    • रचनाकार : प्रियंकर पालीवाल
    • प्रकाशन : प्रतिश्रुति प्रकाशन
    • संस्करण : 2015

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