Font by Mehr Nastaliq Web

सब कुछ लूट लिया है

sab kuchh loot liya hai

अन्ना अख्मातोवा

अन्य

अन्य

अन्ना अख्मातोवा

सब कुछ लूट लिया है

अन्ना अख्मातोवा

और अधिकअन्ना अख्मातोवा

    सब कुछ लूट लिया है

    धोखा दिया गया है

    बेच दिया है

    महा-मृत्यु के काले डैने

    ऊपर अपने आकर फैले

    कुतर दिया है

    भूखी इच्छाओं ने सब कुछ

    फिर भी ज्योति-रेख क्यों चमक रही है

    अपने सम्मुख

    दिन होते ही

    नगर-पास का भेद-भरा वन

    चैरी की ख़ुशबू से

    भर उठता है कन-कन

    आई निशा

    कि निर्मल अंबर जौलाई का

    नए-नए नक्षत्रों से है जगमग करता

    नहीं जानता है यह कोई

    गंद-भरे टूटे घर जो ये

    एक दिव्यता

    बहुत क़रीब रही इनके

    आदि-काल से हम

    जिसकी कर रहे कामना।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक सौ एक सोवियत कविताएँ (पृष्ठ 65)
    • रचनाकार : अन्ना अख्मातोवा
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
    • संस्करण : 1975

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए