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रूथ का सपना

rooth ka sapna

सविता सिंह

अन्य

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सविता सिंह

रूथ का सपना

सविता सिंह

और अधिकसविता सिंह

    रूथ ने देखा एक सपना

    उसने देखे थे कई ऐसे सपने

    तब उसके साथ थे उसके दूसरे प्रेमी

    इस बार वह बिस्तर में अकेली थी

    और शहर भी दूसरा था

    इस बार आधी रात से ही बर्फ़ गिरने लगी थी

    और उसके घर के बाहर

    सुबह-सुबह प्रेमियों का एक जोड़ा

    झगड़कर अलग हुआ था

    रूथ का सपना मामूली सपना नहीं था

    उसने देखा था एक घने पेड़ के नीचे

    बैठे एक दार्शनिक संत को

    जो उसे समझा रहा था अस्तित्व के मानी

    उसने उसे बताया भाषा ही समस्त संसार है

    और उसमें ही एकांत और प्रेम दोनों संभव है

    रूथ भ्रमित थी

    क्योंकि वह तो भाषा में ही थी सदा से

    लेकिन उसे प्रेम के बदले प्रेम कभी नहीं मिला

    और उसका एकांत भरा पड़ा था

    पिता की यातना और माँ की भीरुता से

    यदा-कदा उसमें टहलते हुए आए थे कुछ प्रेमी

    जो छोड़ गए थे पीछे सिर्फ़ अपने बिस्तर

    रूथ देखना चाहती है कई बार

    बस यही सपना

    ताकि वह समझे

    भाषा में झिलमिलाते अकेलेपन की गरिमा को

    कैसे पाया जाए

    कि इस बर्फ़ के शहर में कैसे जिया जाए

    स्रोत :
    • पुस्तक : अपने जैसा जीवन (पृष्ठ 73)
    • रचनाकार : सविता सिंह
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 2001

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