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नंगा बच्चा

nanga bachcha

अनुवाद : चंद्रकांत बांदिवडेकर

मंगेश पाडगाँवकर

अन्य

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मंगेश पाडगाँवकर

नंगा बच्चा

मंगेश पाडगाँवकर

तीन-चार वर्ष का नंगा बच्चा

रास्ते पर हग-मूत में सना

मन चाहे चलता है

खेलता है, दौड़ता है

दिखने वाली क़िस्मत से उसकी कबड्डी

बिलकुल भरपूर रास्ते पर

इंसानियत से हाथ धो बैठे ट्रकों, बसों के

बेरोक ड्राइवर

किसी गुप्त लालच भरे बदले की भावना से

गाड़ियाँ चलाते रहते हैं

वेग में दौड़ती रहती हज़ारों मोटरें...

मुट्ठी खोल, बंद कर

फिर खोल, बंद कर

यह कसरत करते हुए पुलिस के लोग खड़े हैं

कीचड़-सना नंगा बच्चा :

उसकी जवान माँ को कोई गुंडा भगा ले गया है

रास्ते के बड़े-बड़े वाहनों से डरते हैं

लोग

वहाँ यह नंगा बच्चा

आड़े-तिरछे दौड़कर भी

बदन का समूचा कीचड़ सँभालते हुए

बचा कैसे रहता है?

उसके बदन की गंदगी

अपने को स्पर्श करेगी इसलिए

मृत्यु भी उसके पास जाने से

कतराती होगी!

स्रोत :
  • पुस्तक : कविता मनुष्यों के लिए (पृष्ठ 55)
  • रचनाकार : मंगेश पाडगांवकर
  • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
  • संस्करण : 2006

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